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Showing posts from November, 2020

शाहीन बाग़ -2 ( खालिस्तानी दिल्ली में )

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  # किसान आंदोलन तो                   बहाना   है   दिल्ली   में   शाहीन   बाग़ -2  बनाना है  ...! किसान आंदोलन के नाम पर कई ऐसे संगठन   और   लोग   जुड़   रहे   है   जो नागरिकता   संसोधन   कानून   के   खिलाफ   देश   विरोधी   आंदोलन को हवा दे चुके हैं और जिसका कांग्रेस पार्टी   और   आम   आदमी   पार्टी ने समर्थन किया था ।   पीपुल मूवमेंट नाम की संस्था भी आंदोलन का हिस्सा है जिसमे उमर खालिद भी सदस्य है जो दिल्ली दंगे के आरोप में जेल में बंद है और यूनिटी अगेंस्ट हेट नामक संस्था जो  CAA  आंदोलन में भड़का रही थी वह भी शामिल   है। ना किसी की जमीन जा रही, ना कोई मंडी खत्म हो रही फिर भी  CAA  की तरह भड़काया जा रहा है कि किसानों के अधिकार समाप्त हो जाएंगे। यह आंदोलन बिहार चुनाव की हार का एक खीझ है जिसमें खालिस्तानी, टुकड़े गैंग, नक्सली, बाम पंथी, तथाकथित पत्रकार, बुद्धजीवी जो  CAA  आंदोलन में स्टेज पर जा जा कर भाषण दे रहे थे वो तमाम चेहरे इस आंदोलन में कूद पड़े हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने साफ कहा कि इसमें खालिस्तानी समर्थक भी है जिसके पुख्ता सबूत भी है। रिपब्लिक टी वी चैनल पर पंज

26/11 और कांग्रेस की हिन्दू आतंकवाद की थियोरी

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  जब देश में यूपीए सरकार का शासन था तब मनमोहन सरकार में हर दिन के समाचार में सुनने और देखने को मिलता था कि आज यहाँ धमाका हुआ है आज वहाँ गोली चली । 26 नंवबर 2008 का मुम्बई में जब पाकिस्तान में स्थित एक इस्लामिक आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 सदस्यों ने मुंबई में बम विस्फोट और गोली बारी करके 155 से ज्यादा मासूम हिंदुस्तानी और विदेशी लोगो को मौत के घाट उतार दिया। कई बुरी तरह से जख्मी हुए थे।इसी हमले में कई वीर सैनिकों और सशस्त्र बलों के योद्धाओं को अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी परन्तु  “ कांग्रेस का हाथ , जेहादियों के साथ ” । ये बात हम सब बहुत बार ,बार बार सुनते पढ़ते रहे हैं और इन चार शब्दों से अपने गंदे सच को बाहर आता देख कांग्रेस बुरी तरह बौखला कर बिलबिलाती है। मगर यही वो लोग हैं जिन्होंने 26/11 को पाकिस्तानी इस्लामिक और मुस्लिम आतंकयों द्वारा मुंबई में आतंकी हमला करके सैकड़ों लोगों को मार देने का षड्यंत्र रचने का सारा दोष हिन्दुओं पर ही मढ़ दिया था।   दिग्विजय सिंह , सुशील कुमार शिंदे जैसे कांग्रेस के नेताओ ने तो इस धारणा को और मजबूत करने के

गुपकार गैंग ( देशद्रोही )

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देश ने जब एक राष्ट्रवादी सरकार का चयन 2014 में किया था तब से नरेंद्र मोदी की ये सरकार कठोर और कड़े निर्णय लेकर देश को मजबूत करने में लगी हुई है ।  इसी सरकार ने देश के हर कोने में बिजली, पानी ,सड़क, गैस , गरीब को मकान , जनधन योजना जैसे बहुत से कार्य किए। इनके साथ ही नरेंद्र मोदी सरकार ने राष्ट्रवाद और देश के एकीकरण के लिए भी बहुत से कड़े फैसले लिए । राम मंदिर बनाने का मार्ग प्रसस्त करके, धारा370 हटाने का निर्णय लेकर और नागरिकता संशोधन विधेयक लाकर अमित शाह ने भी अपनी अमिट छाप छोड़ी है।  जब से कश्मीर से धारा370 को हटाया है तब से कुछ स्वार्थी दलों को एक अजीब सी परेशानी होने लगी है । इस बिल का काँग्रेस, जम्मू कश्मीर से पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस ने जमकर विरोध किया ।  पर वो सब मिलकर इन फैसलों को पलट नही सकते । आज पूरे कश्मीर की अगर बात होती है तो उसमें पाकिस्तान ऑक्युपाइड कश्मीर भी शामिल होता है । अब जम्मू कश्मीर और लद्दाख दो केंद्र शासित प्रदेश बन गए है ।  महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला के रोजगार के साधन नहीं बचे । कांग्रेस की देश तोड़ने की राजनीति चरमरा गई है । रोज उनके वोटर आतंकवादियों का सफाया

JNU या स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय

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भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू जिन्होंने देश में पहली ही मत प्रक्रिया को झुठलाकर जो पद लिया था उनके मरणोपरांत दिल्ली में एक विश्वविद्यालय बना जिसका नाम उनके नाम पर रखा गया । जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय , दिल्ली !  1969 में बना ये विश्वविद्यालय जो अपने नाम से ज्यादा वहाँ से शिक्षित व्यक्तित्व का निर्माण करके भेजने वाला विश्वविद्यालय जिसने देश की वर्तमान सरकार में मंत्री निर्मला सीतारमण और एस जयशंकर को दिया जिनकी काबिलियत किसी से छुपी हुई नही है । इसी महाविद्यालय ने बहुत से आईएएस अफसर दिए बहुत से जन नेता दिए जिन्होंने बहुत से तरीको से देश का नाम रोशन किया।   मानविकी समाज विज्ञान, विज्ञान, अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन ,  आदि विषयों में हाइयर लेवल की शिक्षा और   शोध   कार्य में संलग्न   देश के अग्रणी संस्थानों में से एक है। जेएनयू को  NACC  ने जुलाई 2012 में किये गए सर्वे में   भारत का सबसे अच्छा   विश्वविद्यालय माना है।  उसी महाविद्यालय में विगत कुछ वर्षों से लाल सलाम के देश तोड़ने वाले 2 कोड़ी के नेता बने घूमते फ़िरते फालतु लोगो का अड्डा बन गया था । इसी महाविद्यालय में अफजल हम शर्मिंद

बैन पटाखों पर या दीवाली पर !

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 कोरोना काल चल रहा है और हर जगह क्या करना है और क्या नही उसी को लेकर हर राज्य सरकार अपनी अपनी गाइड लाइन ( दिशा निर्देश) दे रही है ।  अब कुछ सरकारों ने आदेश दिया है कि 31 दिसम्बर तक किसी भी प्रकार के पटाखे फोड़ने या बेचने के ऊपर पूर्णतया प्रतिबंध लगाया । पर गंभीर और सोचने वाली बात है कि उनका मानना है कि पटाखों के कारण ज्यादा कोरोना फैलता है । उसी कड़ी में राजस्थान की हिन्दू त्योहारों के विरोधी अशोक गहलोत की कांग्रेस सरकार ने इस दीवाली पर पटाखे बेचने पर 10000 रुपये तक का जुर्माना और फोड़ने पर 2000 तक का जुर्माना रखा है । ये आदेश सिर्फ 31 दिसम्बर तक है उसके बाद ये पटाखे 1 जनवरी को फोड़े जायेंगे जिससे कोरोना दूर भागेगा और वायु एकदम स्वच्छ हो जाएगी । नेताओ के चुनाव जीतने पर फोड़े जाने वाले पटाखे से भी वायु प्रदूषण नही होता और न ही उनके द्वारा रैलियों की भीड़ और फोड़े जाने वाले पटाखे से कोरोना बढ़ता है।  उनका दीवाली पर यह आदेश दिखाता है कि वो सरकार कितनी हिन्दू विरोधी है । इसी सरकार ने ईद को मनाने के लिए लॉक डाउन में ढील दी थी क्योंकि यह बकरे काटने का दिन था और एक विशेष समुदाय को खुश करने का दिन

महाराष्ट्र में आपातकाल

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लोकतंत्र में ये तस्वीर भयावह हैं, अपमानजनक हैं, अर्नब गोस्वामी के घर में घुसकर खाकी वर्दी वालो ने जमकर तांडव किया, उनके और परिवार के साथ मारपीट हुई, महज उद्धव और गांधी परिवार को खुश करने की ख़ातिर मुंबई पुलिस ने खुद को ऐसा गिराया कि अब गिरी हुई साख को वापस पाना उसके लिए आसान ना होगा। रिपब्लिक चैनल के अर्नब गोस्वामी की गिरफ़्तारी अभिव्यक्ति और प्रेस की आज़ादी पर एक कुठाराघात है। इमर्जेन्सी के दिनों की याद दिलाता ये कुकृत्य कांग्रेस संस्कृति का परिचायक है।लोकतंत्र में ईमानदार पत्रकारिता करने वालों की आवाज़ इस तरह से बंद करने की मैं भर्त्सना करता हूँ। जो सत्य दिखाएं सरकार की नाकामी जनता को बताएं उसे झूठे केस में फसाओ यही हो रहा है इस समय अर्णब के साथ । साम दाम दण्ड भेद सभी तरह के हतकंडे अपनाए जा रहे हैं महाराष्ट्र सरकार द्वारा , सत्ता का घमंड अपने चरम पर है यही घमंड रावण को भी था । पूरा भारत अर्णब गोस्वामी के साथ है ये मुम्बई पुलिस अर्नब के साथ किसी अपराधी की तरह व्यवहार कर रही है, इससे बड़ा सत्ता का दुरुपयोग क्या हो सकता है बिना किसी समन ,सबूत के अर्नब को उसके घर से घसीटते

मुनव्वर राणा और उनकी विकृत मानसिकता

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 यूँ तो मुनव्वर राणा जो शायराना अंदाज़ से बोलते है और लिखते है   "  उस पेड़ से किसी को शिकायत न थी मगर ये पेड़ सिर्फ़ बीच में आने से कट गया "   इन दो लाइन से उनको शायर मानने की भूल कतई न की जाए । उनकी सोच अपने धर्म के लिए ही है और इन दो लाइन में वो कहना चाहते है कि जो पेड़ कटा है वो फ़्रांस के लोग है जो उन आतंवादियों के धर्म के जिहाद में आड़े आ रहे थे । वो धर्म पर ही सब कुछ करना चाहते है । धर्म में उस आसमानी किताब में क्या लिखा है अभी तक कभी नही पढ़ा पर जिस तरह से इनकी सोच हो जाती है उसको पढ़कर अब तो लगता है कि उसको पढ़ने और पढ़ने वालों को रोकने के प्रयास होने चाहिए ।मुस्लिमों की सच्चाई यह है कि वह किसी भी देश की सीमा नहीं मानते हैं किसी भी देश की बात नहीं मानते हैं मुस्लिम सिर्फ मुस्लिम को मानते हैं अपनी  किताब के अनुसार चलते है पढा लिखा और मूर्ख सब एक बराबर है और ये कोई वर्तमान में नहीं हो रहा है इनका इतिहास देखोगे तो मालूम पड़ेगा सब जगह ऐसे ही भरे पड़े है...!! उनका धर्म उनका ईमान उनका मजहब है  । इनको देश से नही इनको शरीयत कानून अच्छा लगता है । बातों ही बातों में एक पढ़े ल