शाहीन बाग़ -2 ( खालिस्तानी दिल्ली में )



 


# किसान आंदोलन तो 

                बहाना है दिल्ली में शाहीन बाग़-2 बनाना है ...!

किसान आंदोलन के नाम पर कई ऐसे संगठन और लोग जुड़ रहे है जो नागरिकता संसोधन कानून के खिलाफ देश विरोधी आंदोलन को हवा दे चुके हैं और जिसका कांग्रेस पार्टी और आम आदमी पार्टी ने समर्थन किया था ।

 

पीपुल मूवमेंट नाम की संस्था भी आंदोलन का हिस्सा है जिसमे उमर खालिद भी सदस्य है जो दिल्ली दंगे के आरोप में जेल में बंद है और यूनिटी अगेंस्ट हेट नामक संस्था जो CAA आंदोलन में भड़का रही थी वह भी शामिल है।

ना किसी की जमीन जा रही, ना कोई मंडी खत्म हो रही फिर भी CAA की तरह भड़काया जा रहा है कि किसानों के अधिकार समाप्त हो जाएंगे।
यह आंदोलन बिहार चुनाव की हार का एक खीझ है जिसमें खालिस्तानी, टुकड़े गैंग, नक्सली, बाम पंथी, तथाकथित पत्रकार, बुद्धजीवी जो CAA आंदोलन में स्टेज पर जा जा कर भाषण दे रहे थे वो तमाम चेहरे इस आंदोलन में कूद पड़े हैं।

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने साफ कहा कि इसमें खालिस्तानी समर्थक भी है जिसके पुख्ता सबूत भी है।

रिपब्लिक टी वी चैनल पर पंजाब के मुख्यमंत्री ने साफ कहा यह कानून एमएसपी खत्म नहीं कर रही फिर भी अमरिंदर सिंह जी और कांग्रेस पार्टी इस आंदोलन को हवा दे रही है।

अर्फा , राणा अयूब, स्वरा भास्कर , योगेंद्र यादव , रावण, मेधा पाटेकर जैसे लोगों ने CAA के नाम पर भी लोगों को बरगलाया था नतीजा सबको पता है। और आज फिर इन गिध्दों की भीड़ माँस खाने के लिए ऊपर घूम रही है। देश को तोड़ना और मोदी सरकार को कमजोर करना इनका एजेंडा है ।

केंद्र सरकार ने साफ कहा हम बातचीत को तैयार हैं फिर भी आंदोलन करना ही है यह भी समझ से परे है।

अमरिंदर सिंह जी अर्णब गोस्वामी को दिए इंटरव्यू में पंजाब कार्ड खेल रहे थे उनको ज्ञात हो पंजाब में बिहार के मजदूर बुआई और कटाई के लिए जाते रहे हैं। पंजाब ने अनाज दिया है तो उसका श्रेय बिहार को भी जाता है इसलिए इसे राज्य की अस्मिता से जोड़ना हास्यास्पद है।

कुछ किसानों की नाराज़गी हो सकती है इसमें कोई गलत नहीं है होना भी चाहिए और इसके लिए सरकार बार बार कह रही है हम वार्ता को तैयार हैं।
देश के किसान समझदार है और किसान राजनीति का शिकार नहीं हो सकता।
किसान के हाथ का उगाया फसल हर जाति हर धर्म , हर राजनीतिक दलों के नेता और समर्थक खा कर अपना पेट भरते हैं।

किसान आंदोलन में खालिस्तानी ने कहा इंदिरा को ठोका फिर मोदी क्या चीज है । क्या देश के किसान इस बात को स्वीकार कर सकते हैं! नहीं , कभी नहीं

खालिस्तानी समर्थक बता रहे है कि किसानों की जमीन चली जाएगी जबकि यह कानून किसी जमीन के लिए तो है ही नहीं।

कांग्रेस पार्टी के लिए किसानों का मुद्दा इतना ही बड़ा था तो बिहार चुनाव में क्यूं नहीं लेकर आए इस विषय को। असल में इस नए कानून से किसानों को ही ज्यादा लाभ होगा फिर भी जो धर्म और जाति के नाम पर देश को नहीं जला पाएं वो लोग किसान आंदोलन में सेंध मार कर अराजकता फैलाना चाहते हैं।
केजरीवाल जी की राजनीति समझ से परे है। एक तरफ कोरोना की जंग जिसमे कुछ कर नहीं पाए सिवाय विज्ञापन के । छठ पर्व में घाट पर पूजा नहीं होने दिया गया पर दिल्ली में इतना भीड़ इकट्ठा करने में उनको कोई आपत्ती नहीं है।
अगर यह कानून इतना खराब होता तो बिहार चुनाव में किसान भाजपा को वोट नहीं करते।
मैं ऐसा बिलकुल भी नहीं कह रहा हूं कि इस आंदोलन में किसान नहीं है। इस आंदोलन में अवश्य किसान होंगे और होना भी चाहिए पर वो मासूम किसान इस गंदी राजनीति के शिकार ना हो जाएं यही एक चिंता का विषय है।
जवान, किसान, चिकित्सक, शिक्षक यह ऐसे प्रोफेशन हैं जो कोई राजनीति के लिए नहीं बने हैं चाहे कोई किसी भी दल का समर्थन करता है पर वह अपने काम में कभी यह नहीं पूछते की तुम किस दल को वोट देते हो उसी का इलाज करूंगा, या शिक्षा दूंगा या अनाज उगाऊंगा या फिर सुरक्षा दूंगा।
पूरा देश किसानों के साथ खड़ा है इसलिए किसानों को इस आंदोलन से खुद को अलग करना होगा ।

सभी से अनुरोध है अपने अपने क्षेत्र के लोगों को खास तौर पर किसानों को इस आंदोलन के पीछे छुपे हुए चेहरों की मानसिकता से अवगत कराएं।



जय किसान
जय अन्नदाता
जय भारत की जनता।

 

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