JNU या स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय


भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू जिन्होंने देश में पहली ही मत प्रक्रिया को झुठलाकर जो पद लिया था उनके मरणोपरांत दिल्ली में एक विश्वविद्यालय बना जिसका नाम उनके नाम पर रखा गया । जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय , दिल्ली ! 

1969 में बना ये विश्वविद्यालय जो अपने नाम से ज्यादा वहाँ से शिक्षित व्यक्तित्व का निर्माण करके भेजने वाला विश्वविद्यालय जिसने देश की वर्तमान सरकार में मंत्री निर्मला सीतारमण और एस जयशंकर को दिया जिनकी काबिलियत किसी से छुपी हुई नही है । इसी महाविद्यालय ने बहुत से आईएएस अफसर दिए बहुत से जन नेता दिए जिन्होंने बहुत से तरीको से देश का नाम रोशन किया।

 मानविकी समाज विज्ञान, विज्ञान, अंतर्राष्ट्रीय अध्ययनआदि विषयों में हाइयर लेवल की शिक्षा और शोध कार्य में संलग्न देश के अग्रणी संस्थानों में से एक है। जेएनयू को NACC ने जुलाई 2012 में किये गए सर्वे में भारत का सबसे अच्छा विश्वविद्यालय माना है।

 उसी महाविद्यालय में विगत कुछ वर्षों से लाल सलाम के देश तोड़ने वाले 2 कोड़ी के नेता बने घूमते फ़िरते फालतु लोगो का अड्डा बन गया था । इसी महाविद्यालय में अफजल हम शर्मिंदा है तेरे कातिल जिन्दा है और हम लेकर रहेंगे आज़ादी जैसे देश तोड़ने वाले नारे भी लगे थे । कन्हैया कुमार, उमर खालिद और उनके जैसे बहुत से देशद्रोही विद्यार्थी भी इसी महाविद्यालय की उपज है । 

जब पहली बार किसी राष्ट्रवादी सरकार ने इसी महाविद्यालय में स्वामी विवेकानंद जी की मूर्ति स्थापित करने का एलान किया तो इन्ही पढ़े लिखे अनपढ़ गवारों और देशद्रोहियो को मिर्ची लग गई थी। बहुत से लोगो ने विरोध किया। एक बात समझ नही आई वे किसका विरोध कर रहे थे स्वामी विवेकानंद का या उनकी अपनी इस नाजायज पैदाइश का। खैर अब जब देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने जब इसी जेएनयू की भूमि पर स्वामी विवेकानंद जी की स्टेच्यू का अनावरण कर दिया है तो उनकी शक्ल और सूरत देखने लायक थी । 

हमको लगता है इस महाविद्यालय का नाम अब स्वामी विवेकानंद जी के नाम पर करके पूरे जेएनयू की भूमि पर से देशद्रोहियो के पाप को धोने का इससे अच्छा समय नही हो सकता । देश को राह दिखाने वाले , देश को निरन्तर आगे बढ़ने का संदेश देने वाले के नाम पर अगर किसी संस्थान का नाम हो तो इसमें किसी को क्या पूछना । सरकार को तत्काल निर्णय लेकर एक स्वघोषित प्रधानमंत्री के नाम की जगह देश का नाम दुनिया में रोशन करने वाले स्वामी विवेकानंद जी के नाम क्यों नही कर देती । 

 

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