महाराष्ट्र में आपातकाल
लोकतंत्र
में ये तस्वीर भयावह हैं, अपमानजनक हैं, अर्नब गोस्वामी के घर में घुसकर खाकी वर्दी
वालो ने जमकर तांडव किया, उनके और परिवार के साथ मारपीट हुई, महज उद्धव और गांधी
परिवार को खुश करने की ख़ातिर मुंबई पुलिस ने खुद को ऐसा गिराया कि अब गिरी हुई
साख को वापस पाना उसके लिए आसान ना होगा।
रिपब्लिक
चैनल के अर्नब गोस्वामी की गिरफ़्तारी अभिव्यक्ति और प्रेस की आज़ादी पर एक कुठाराघात
है। इमर्जेन्सी के दिनों की याद दिलाता ये कुकृत्य कांग्रेस संस्कृति का परिचायक है।लोकतंत्र
में ईमानदार पत्रकारिता करने वालों की आवाज़ इस तरह से बंद करने की मैं भर्त्सना करता
हूँ। जो सत्य दिखाएं सरकार की नाकामी जनता को बताएं उसे झूठे केस
में फसाओ यही हो रहा है इस
समय अर्णब के साथ । साम दाम दण्ड भेद सभी तरह के हतकंडे अपनाए
जा रहे हैं महाराष्ट्र सरकार द्वारा, सत्ता का घमंड अपने चरम पर है यही घमंड रावण को भी था । पूरा भारत अर्णब
गोस्वामी के साथ है
ये मुम्बई
पुलिस अर्नब के साथ किसी अपराधी की तरह व्यवहार कर रही है, इससे बड़ा सत्ता का दुरुपयोग
क्या हो सकता है बिना किसी समन ,सबूत के अर्नब को उसके घर से घसीटते हुए ले जाना सीधे
तौर पर लोकतंत्र की हत्या है, यह आपातकाल है महाराष्ट्र में यह सत्ता का आतंक है।
अर्नब उनके
नेटवर्क, पत्रकारिता और तौर तरीक़ों से लोगों की सैंकड़ों सहमति-असहमतियाँ हो सकती
हैं। लेकिन जिस तरीके से एक नेशनल चैनल के संपादक को बिना किसी समन या नोटिस के गिरफ़्तार
किया गया, वो सरासर ग़लत है। आज अगर इसपर सवाल नहीं उठाया गया तो कल किसी और का भी
नंबर हो सकता है!
अभिव्यक्ति
की आजादी के ठेकेदार किधर है ? असहिष्णुता गैंग किधर है ? देश की प्रधानमंत्री को दिन
रात गाली देने वाले किधर गए ? लोकतंत्र का चौथा स्तंभ पर ये राजनैतिक आक्रमण पर दुसरे
मिडिया हाउस चुप क्यों हैं ...!
6 साल से बहुत इमरजेंसी-इमरजेंसी चिल्ला रहे थे न...असल में आज जो हुआ न, उसे इमरजेंसी कहते हैं!! 6 साल से तुमको जो संविधान खतरे में लगता था, वो संविधान आज खतरे में आया है !!! और हाँ... 6 साल से जिस फासीवाद की बात कर रहे थे न... इसे ही फासीवाद कहा गया है!!
किसी को भी गिरफ़्तार कर लो, किसी को भी मार दो, किसी
का भी घर तोड़ दो, किसी को भी जेल में ठूस दो। ये दो हज़ार बीस का काल है या मुग़ल
कबीला काल ?
हम लड़ेंगे, सच्चाई के लिए
...
हम लड़ेंगे,स्वतंत्र मीडिया
के लिए ..
हम लड़ेंगे, लोकतंत्र के लिए
...
हम लड़ेंगे, 'अघोषित आपातकाल'
के खिलाफ ..
हम लड़ेंगे, तानाशाही के खिलाफ
...
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