लव जिहाद और बेटियों की हत्या


 लव जिहाद वर्तमान समय और परिस्थितियों में भयावक और बहुत ही ज्यादा खतरनाक साबित हो गया है ... ! लव जिहाद लव जिहाद या रोमियो जिहाद, कथित रूप से मुस्लिम/क्रिश्चियन पुरुषों द्वारा हिंदू समुदाय  से जुड़ी महिलाओं को इस्लाम धर्म में परिवर्तन के लिए लक्षित करके प्रेम का ढोंग रचना है। भारत में लव जिहाद की पहली घटना 2009 में केरल और फिर कर्नाटक में ध्यान खिंच पाई । लव जिहाद में मुस्लिम समुदाय के पुरुष जबरदस्तीकरके हिन्दू धर्म की लड़कियों का धर्म परिवर्तन करवाकर उन्हें इस्लाम को मानने और उसके हिसाब से रहने के लिए मजबूर करते है । हालिया घटनाओं में देखा गया है कि किसी महिला द्वारा मना करने पर ये लोग उन महिलाओं को सरेआम कत्लेआम कर देते है । यहाँ सभी बुद्धिजीवी वर्ग चुप रहेगा अपनी तख्तियों को अपने घर में छुपाकर रख देते है जो उनके हिन्दू धर्म को अपमानित करने और उसके विरुद्ध काम में ली जाती है । 

निकिता को तौसीफ के द्वारा जबरदस्ती निकाह करने को लेकर मना करने पर सरेआम गोली से उड़ा दिया गया । निकिता ने तो मना करके अपना जीवन कुर्बान कर दिया । पर हर कोई ऐसा नही कर पाता और लव जिहाद के चक्कर में फसकर अपनी जिंदगी बरबाद कर देते है । लव जिहाद न होकर उनका ये अब आतंकवादी रवैया हो गया है । 

देश को एकजुट होकर लव जिहाद को रोकने की जरूरत है । इन्साफ और न्याय की जरूरत है । देश को सोचना पड़ेगा कैसे इससे बचना पड़ेगा ? और क्यों जरूरत आ पड़ी है ऐसे निर्णय लेने की ? 

सब जानते है कि संस्कृति का पतन हो रहा है । सब चुप है उनको लगता है कि हमारे क्या लगती है वो ? पर कल जब आपके ऊपर बितेगी तब कोई नही खड़ा होगा जो लड़ सके इन 2 कौड़ी के आतंकवादियों से । 

आज फरीदाबाद की निकिता थी तो सब चुप है । कल कोई और जगह की निकिता होगी तब भी चुप रहोगे तो हो गया पतन सबका । 

सबको मिलकर लड़ना होगा इन लव जिहादियों से । रोकना होगा और बचानी होगी अपनी इज्जत और संस्कृति को । रक्षा करनी पड़ेगी अपने धर्म की । 

आज की घटना देख के तो बस दो पंक्तियां याद आ गई ....

सुनो द्रोपदी शस्त्र उठा लो, अब गोविंद ना आएंगे

छोड़ो मेहंदी खड़ग संभालो
खुद ही अपना चीर बचा लो
द्यूत बिछाए बैठे शकुनि,
... मस्तक सब बिक जाएंगे
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आएंगे |

कब तक आस लगाओगी तुम, बिक़े हुए अखबारों से,
कैसी रक्षा मांग रही हो दुशासन दरबारों से
स्वयं जो लज्जा हीन पड़े हैं
वे क्या लाज बचाएंगे
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आएंगे

कल तक केवल अंधा राजा, अब गूंगा-बहरा भी है
होंठ सिल दिए हैं जनता के, कानों पर पहरा भी है
तुम ही कहो ये अश्रु तुम्हारे,
किसको क्या समझाएंगे?
सुनो द्रोपदी शस्त्र उठालो, अब गोविंद ना आएंगे....

 


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