अवसाद और आत्महत्या

लाइम लाइट और चकाचौंध में जो जितना ज्यादा भीड़ से घिरा होता है उतना ज्यादा अकेला होता है...आत्महत्या किसी बात का समाधान तो नहीं...लोग खप जाते है संघर्ष करते करते पर हिम्मत न हारते..स्ट्रांग बनिये, औरों के लिए न सही अपने लिए अपने हीरो बनिये 
गरीब मजदूर इतनी परेशानी में पैदल चलकर भी जिंदगी जीने की जद्दोजहद कर रहे हैं और ये हाई फाई लोग थोड़े उतार चढ़ाव में ही मौत को गले लगा लेते हैं फैशन ओर ग्लेमर की दुनिया को मानसिक स्वस्थता के लिए आध्यात्म से रुबरु होना जरुरी ताकि आत्मबल के माध्यम से कमजोर क्षणों में टूटने से बचें.!
बेहद दुःखद था सुशांत सिंह का युह चले जाना यह सिर्फ़ एक नौजवान नें आत्महत्या नहीं की है बल्कि युवा पीढ़ी पर भौतिकवाद व अति महत्वकांक्षा के बढ़ते दबाव नें दम तोड़ा है।समाज और भारतीय संस्कृति को पुनरावलोकन व आत्मविश्लेषण की महती आवश्यकता है। ईश्वर परिवार व उनके चाहनें वालों को शक्ति प्रदान करें। 
घटना दुःखद है लेकिन इनका ये कदम कायराना है जीवन में बहुत उतार चढ़ाव आते हैं चुनौतियों का सामना करना आना चाहिए अस्थाई समस्याओं से भागने का सरल तरीका है,ऐसे इंसान अपने पीछे अनेकों प्रश्न छोड़ जाते है,अपने जानने वालों को बहुत दुःख पहुंचाते हैं!!
जब ये खबर चली तो सुशांत सिंह का कोई दोस्त टीवी पर बात कर रहा था हमने काफी टाइम तक एक साथ काम किया था हम कई टीवी सीरियल्स में एक साथ थे सुशांत मेरा बहुत अच्छा दोस्त था फिर एंकर ने पूछा कि आखिरी बार आप लोगों की कब बात हुई थी, दोस्त ने कहा दो साल पहले....! महानगरों का सच यही है।
सोशल मीडिया ने हमलोगों को दुनिया से जोड़ दिया लेकिन अपनो से कट गए हम जिंदगी में धनदौलत,सफलता,चकाचौंध ही सबकुछ नहीं होती,मानसिक शांति होना जरूरी है,अगर मन में शांति ना हो तो आप भीड़ में रहकर भी तन्हा हो सकते हैं और अगर मन शांत है तो तन्हा रहकर भी आपको अकेलापन महसूस नहीं हो सकता.!
इतिहास गवाह है कि ज्यादातर खुदकुशी मानसिक उथलपुथल के कारण ही की जाती हैं,गरीबों और अनपढ़ों से ज्यादा आत्महत्या के मामले पढे लिखे और बाहर से सफल दिखने वाले लोग ही करते हैं,अपने दोस्तों,परिवार के सदस्यों और आसपास के लोगों का ख्याल रखिये..!! 
अवसाद होना और उससे बाहर निकल ना मानव जीवन के लिए बहुत बड़ी और गंभीर समस्या है । लोगो को लोगो से मिलकर बातें करते रहना चाहिए एक सामाजिक और पारिवारिक माहौल बनना चाहिए जिससे उनको लगे कि अपने भी बहुत है हमारे इस दुनिया में। किसी बात को लेकर अगर कोई चिंता है या कोई बड़ी समस्या है तो उस बात को अपनों के साथ मिलकर उनको बताना चाहिए । आत्महत्या कोई समाधान तो है नही किसी भी समस्या का ।




Comments

Popular posts from this blog

India at Paris Olympic 2024

शिवसेना उद्धव ठाकरे या फ़िर सोनिया सेना

सोनार बांग्ला vs टोलाबाजी बांग्ला