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Showing posts from July, 2020

कोरोना और निजी अस्पताल

कोरोना या वुहान वायरस अब नाम इतना सुन चुके है कि लगता है कि अब ये हमारे जिंदगी का एक हिस्सा बन गया हो । जब भारत देश में 31 जनवरी को पहला केस दर्ज हुआ था तब से आज 15 जुलाई तक देश ने 9 लाख 65 हजार तक का आँकड़ा पार कर लिया। इसी बीच में लगभग 25 हजार भारतीयों ने इस वुहान वायरस से दम तोड़ लिया है । चीन अपने काम में सफल रहा ।क्या तो आज अमेरिका क्या भारत सब जगह चीनी वुहान वायरस का बहुत बड़ा प्रभाव हर नागरिक के जीवन उनके रहन सहन उनके आर्थिक स्थिति पर पड़ा है ।  परन्तु इन सब से ऊपर भारत में लॉक डाउन में की गई सरकारी तैयारियों के कारण जो मृत्यु दर 3 से कम है वो ख़ुशी की बात है । कोरोना वॉरियर्स को सलाम है ..।  देश हर उस वॉरियर्स का सदैव ऋणी रहेगा जिसने अपने जान की परवाह न करते हुए हरदम देश के हर उस नागरिक के साथ खड़ा रहा जो कोरोना के खिलाफ शारीरिक हो या हो मानसिक लड़ाई लड़ रहा है । कोरोना वॉरियर्स उसमें अग्रणी भूमिका में रहा ।  परन्तु इन सब से परे एक बात जो ध्यान देने योग्य है वो है निजी अस्पताल में कोरोना से मौत का आंकड़ा और उसके बाद किया गया उनका अंतिम संस्कार। सब शक को और गहरा करते है और शक है मानव

लॉकडाउन अनलॉकडाउन

लॉकडाऊन अनलॉक के बीच पेंडुलम बन गई है जिंदगी। पहले अचानक लॉकडाउन, फिर उसे चार बार बढ़ाना, फिर उसमें ढील। जब देश में लगभग 500 केस थे कोरोना के तब लॉकडाउन पूरे देश में लगा था जो लगभग 4 लाख केस आने तक रहा  फिर अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई ...!  लोगो को सरकारे समझा सकती है घर में बांध के नही रख सकती ...! लोगो को समझना पड़ेगा फेस मास्क, सोशिअल डिस्टेंसिंग और हाथ धोना कितना जरुरी है ।  कोरोना वैक्सीन तो दूर की कौड़ी नजर आ रही है । समय बीत रहा है केस दोगुनी रफ़्तार से बढ़ रहे है ..!  रिकवरी रेट अच्छी है पर मृत्यु भी हो रही है  आज रोज के 500 + औसत  मौत हो रही है भारत में । तेजी से बढ़ते संक्रमण के कारण दोबारा पहले के मुकाबले सख्ती से लॉकडाउन।  जीवन अब बिखरने लगा है। नौकरी कमाई तो दूर की बात है, सामान्य जीवन जीना भी मुश्किल होता जा रहा है। प्रधानमंत्री द्वारा चलाई जा रही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना हो या गैस सिलेंडर 3 महीने तक देना हो ...! सब उनके लिए हो रहा है जो गरीब है ये एक स्वागत योग्य कदम है और सराहनीय भी ..! पर बार बार लॉकडाउन और अनलॉक डाउन की प्रक्रिया ने देश में मध्यम वर्ग के परिवार की क

अवसाद और आत्महत्या

लाइम लाइट और चकाचौंध में जो जितना ज्यादा भीड़ से घिरा होता है उतना ज्यादा अकेला होता है...आत्महत्या किसी बात का समाधान तो नहीं...लोग खप जाते है संघर्ष करते करते पर हिम्मत न हारते..स्ट्रांग बनिये, औरों के लिए न सही अपने लिए अपने हीरो बनिये  गरीब मजदूर इतनी परेशानी में पैदल चलकर भी जिंदगी जीने की जद्दोजहद कर रहे हैं और ये हाई फाई लोग थोड़े उतार चढ़ाव में ही मौत को गले लगा लेते हैं फैशन ओर ग्लेमर की दुनिया को मानसिक स्वस्थता के लिए आध्यात्म से रुबरु होना जरुरी ताकि आत्मबल के माध्यम से कमजोर क्षणों में टूटने से बचें.! बेहद दुःखद था सुशांत सिंह का युह चले जाना यह सिर्फ़ एक नौजवान नें आत्महत्या नहीं की है बल्कि युवा पीढ़ी पर भौतिकवाद व अति महत्वकांक्षा के बढ़ते दबाव नें दम तोड़ा है।समाज और भारतीय संस्कृति को पुनरावलोकन व आत्मविश्लेषण की महती आवश्यकता है। ईश्वर परिवार व उनके चाहनें वालों को शक्ति प्रदान करें।  घटना दुःखद है लेकिन इनका ये कदम कायराना है जीवन में बहुत उतार चढ़ाव आते हैं चुनौतियों का सामना करना आना चाहिए अस्थाई समस्याओं से भागने का सरल तरीका है,ऐसे इंसान अपने पीछे अनेकों प्रश्न